Kalki 2898 AD Movie Review
Kalki 2898 AD Movie Review:बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’ तमाम दर्शकों ने देखी हुई है। इसके बाद भी इसकी अंतर्कथाएं तो बहुत कम लोगों को ही पता है। कर्ण को अपने पिता सूर्य से मिले वरदानों की कहानियां बच्चों ने अपनी दादियों, नानियों से खूब सुनी होंगी। कहानियां सुनने सुनाने की परंपराएं हालांकि क्षीण हो रही हैं लेकिन, फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ भारतीय पौराणिक कथाओं में दिलचस्पी जगाने का एक नेक काम बड़ी शिद्दत से करती है।
जिनका धर्म-कर्म से वास्ता नहीं रहा है, उनको ये फिल्म बिल्कुल भी समझ नहीं आएगी लेकिन अगर आपको ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानम् धर्मस्य तदात्मानाम् सृजाम्यहम्’ याद है या इसका अर्थ भी पता है तो ये फिल्म आपको दिलचस्प लगेगी।
Kalki 2898 AD Movie Review:भगवान विष्णु का द्वापर में अपने श्रीकृष्ण अवतार के समय ये वादा था। महाभारत युद्ध के कुछ और सूत्र भी फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ देखते समय पता होने जरूरी हैं। अर्जुन के गांडीव की शक्ति पता होना जरूरी है। एक ही मां से जन्मने के बाद भी सूतपुत्र कहलाया कर्ण अपने इस भाई से हर कौशल में बेहतर था, ये पता होना भी जरूरी है।
पता होना ये भी जरूरी है कि जिन कृष्ण के सामने द्रोणाचार्य और कर्ण दोनों का छल से वध हुआ, उन्होंने ही द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को मृत्यु का दंड देकर मुक्ति नहीं दी, बल्कि जीवित रहने का श्राप देकर तिल तिल गलने के लिए अनंत काल तक धरती पर छोड़ दिया।
काशी की धुरी पर घूमती कहानी
Kalki 2898 AD Movie Review:कहानी ये साल 2898 की काशी की है। दुनिया में बस यही एक शहर बचा है। बताते हैं कि काशी की रचना ही नगरों के विकास के क्रम में सबसे पहले हुई। काशी का कोतवाल, भैरव को माना जाता है। लेखक, निर्देशक नाग अश्विन के कल्कि सिनेमैटिक यूनिवर्स की पहली फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ का नायक भी भैरव ही है। दक्षिण में नामों के उच्चारण के समय अंतिम शब्द को दीर्घ स्वरूप में बोलने के चलते यहां वह भैरवा है। ये उन दिनों की काशी है जब गंगा में पानी नहीं है। हवा में ऑक्सीजन नहीं है। और, बरसों से किसी ने पानी बरसते देखा नहीं है।
कहानी मुद्दे पर आने से पहले लंबा घूमती है। भैरव और बुज्जी की ट्यूनिंग समझाती कहानी में कुल तीन तरह की दुनिया हैं। एक कॉम्पेल्क्स जिसका संचालन सुप्रीम यास्किन के पास है। वह गर्भवती स्त्रियों के भ्रूण से मज्जा निकालकर खुद को जीवित रखे हुए है। काशी में भैरव की लंपटई चल रही है।
इसके अलावा मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स की ब्लैक पैंथर वाली कहानी की वकांडा जैसी एक दुनिया भी यहां है। तकनीकी रूप से विकसित और बाकी दुनिया की नजरों से छिपी हुई। इसी जगह आकर कहानी अपने यौवन पर आती है और फिल्म के अगले हिस्से के लिए एक बड़ा सूत्र भी छोड़ जाती है, जहां ‘अवतार’ की मां का दुश्मन ही अब मां का रक्षक बनने वाला है।
सनातन संस्कृति से सिनेमा का रोचक संगम
Kalki 2898 AD Movie Review:फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ जहां खत्म हुई है, उसके ठीक घंटा भर पहले ही फिल्म का असली आनंद आना शुरू होता है। महाभारत काल की कहानी का भविष्य की कहानी से बना सेतु वर्तमान में कहीं नहीं टिकता और यही इस कहानी की असल कमजोरी है।
भविष्य में क्या कुछ होगा, उसका प्रस्थान बिंदु आज की किसी घटना से होता तो दर्शक फिल्म शुरू होने के कोई आधे घंटे तक मन ही मन गुणा भाग नहीं लगाते रहते। लेकिन, दीपिका पादुकोण के किरदार एसयू माटी के सुमति नाम पाने के साथ ही दर्शकों की भावनाएं कहानी के साथ जुड़ने लगती है। सबको पता है कि अमिताभ बच्चन यहां अश्वत्थामा के किरदार में हैं।
फिल्म में कृष्ण का चेहरा नजर नहीं आता। विजय देवरकोंडा का अर्जुन के रूप में स्पेशल अपीयरेंस प्रभावी हो न हो लेकिन, जब कर्ण का चेहरा परदे पर सामने आता है तो उस समय सिनेमाहॉल में बजी तालियां और सीटियां ही सनातन संस्कृति और नई सदी के सिनेमा के इस संगम की अगली धारा के स्वागत का मंच तैयार कर देती हैं। लेकिन, अगर आपको ये कथा पता नहीं है तो फिर आपको फिल्म देखने का आनंद शायद न आए।
नाग अश्विन के सिनेमाई कौशल की बानगी
Kalki 2898 AD Movie Review:फिल्म में स्पेशल अपीयरेंस की पूरी कतार है। पहले मृणाल ठाकुर नजर आती हैं। लगता है कि अवतार उन्हीं के किरदार की कोख से होने वाला है। लेकिन नहीं। फिर रामगोपाल वर्मा नजर आते हैं। उनका ये अवतार बिल्कुल प्रभावी नहीं दिखता। असरदार कैमियो है फिल्म में निर्देशक एस एस राजामौली का, जिनसे बचने की कोशिश में भैरव कहता भी है, ‘इससे बचकर निकल लो। पकड़ लिया तो पांच साल गए।’ दुलकर सलमान ने भैरव को पालने वाले का किरदार निभाया है जो आगे चलकर उसी से धोखा पाता है और भैरव को एक हीरो की बजाय अपने जीवित रहने के संघर्ष में लगे इन्सान के तौर पर दिखाता है।
भैरव की कमजोरी है पैसा, जिसकी गिनती यहां रुपये की बजाय यूनिट्स में हो रही है। और, फिल्म की असली ताकत है अमिताभ बच्चन का आठ फुट वाला किरदार है। फिल्म के दूसरे किरदारों के बीच उन्हें इसी ऊंचाई में लगातार दिखाया जाता है और नाग अश्विन के सिनेमाई तकनीक कौशल की बस ये एक बानगी है।
बच्चों को बताकर ले जाएं कृष्ण के छल की कहानियां
हिंदुस्तानी कंपनी प्राइम फोकस की सहयोगी कंपनी डीएनईजी के विश्वस्तरीय स्पेशल इफेक्ट्स से लैस फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ में अमिताभ बच्चन और प्रभास के द्वंद्व दृश्यों की ऊर्जा अद्भुत है। इन दोनों का संघर्ष ही इस कहानी पर बनी पहली फिल्म को अपने उपसंहार की तरफ ले जाती दिखता है।
भविष्य और भूतकाल की इस कहानी में महाभारत के मानवीय संहारों के दृश्यों को जिस चतुराई से नाग अश्विन ने बुना है, उससे ये तो तय है कि फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ का कारोबार जैसा भी रहे, पर इसकी सीक्वल की कमाई बहुत धुआंधार होने वाली है।
Kalki 2898 AD Movie Review:फिल्म की कमजोर कड़ियों में इसका संपादन, संगीत और हॉलीवुड फिल्मों से मिलते जुलते कुछ दृश्य हैं। प्रभास के शुरुआती दृश्य भी ज्यादा रंग नहीं जमा पाते हैं और वह इसलिए भी क्योंकि इस किरदार को नाग अश्विन ने एक आलसी इंसान के रूप में ही बुना है।
फिल्म में सहायक कलाकारों की लंबी फौज है और इस सारे शोरगुल व भीड़ भड़क्के के बीच भी फिल्म की कहानी में दीपिका पादुकोण की दमक अपनी चमक अलग ही बिखेरती रहती है। फिल्म मनोरंजक है। बच्चों को महाभारत के दृष्टांत बताकर ये फिल्म दिखाने ले जाएंगे तो वाकई उन्हें मजा बहुत आने वाला है।
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