Chandrayaan 3 New Update
Chandrayaan 3 New Update : चंद्रमा को लेकर सिर्फ भारतीय वैज्ञानिकों की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की काफी दिलचस्पी रहती है। पिछले साल भारत के चंद्रयान-3 ने दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करके इतिहास रच दिया था। अब एक बार फिर से भारतीय वैज्ञानिकों ने चांद को लेकर कमाल कर दिया है। हालही मे एक रिसर्च से चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में पानी की बर्फ होने की संभावना के प्रमाण सामने आए हैं।
यह रिसर्च इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा आईआईटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आईआईटी आदि की मदद से की गई है। इसरो ने जारी किए बयान में बताया है कि इससे पता चलता है कि पहले कुछ मीटर में उपसतह बर्फ की मात्रा दोनों ध्रुवों की सतह पर मौजूद बर्फ की मात्रा से लगभग 5 से 8 गुना अधिक है।
इसरो स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के टी चक्रवर्ती ने कहा की, “इस बर्फ के वितरण और गहराई की सटीक जानकारी भविष्य में नमूना लेने के लिए लैंडिंग स्थलों का चयन करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर पर सवार सात उपकरणों से डेटा का विश्लेषण करते हुए टीम ने पाया कि उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुवों की तुलना में लगभग दोगुनी बर्फ है।
180 फीट के एरिया में की थी लैंडिंग – (Chandrayaan 3 New Update)
चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग का दायरा बड़ा था। उसके मुकाबले स्लिम लैंडर ने 180 फीट के एरिया में लैंडिंग की। इसमें वह थोड़ा भटका और पलट गया था। जबतक उसके सौर पैनलों पर सूर्य की रोशनी पड़ी, एक हफ्ता गुजर गया था। जैसे-तैसे उसने काम शुरू किया, लेकिन 1 फरवरी को फिर स्लीप मोड में चला गया क्योंकि चांद पर रात गहरा रही थी। अब स्लिम लैंडर फिर से एक्टिव हाे गया है।
इसरो ने दीया बयान – (Chandrayaan 3 New Update)
इसरो के एक बयान में कहा गया है कि हालिया रिसर्च के अनुसार चांद की सतह पर पहले दो मीटर में बर्फ की मात्रा दोनों ध्रुवों में सतह पर मौजूद बर्फ की मात्रा से लगभग 5 से 8 गुना अधिक है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि बर्फ का नमूना या खुदाई करने के लिए चंद्रमा पर ड्रिलिंग भविष्य के मिशनों और दीर्घकालिक मानव उपस्थिति के लिहाज से पहला कदम होगा।
इसके अलावा, रिसर्च से यह भी पता चला है कि उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में पानी की बर्फ की मात्रा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की तुलना में दोगुनी है। जहां तक इस बर्फ की उत्पत्ति का सवाल है, रिसर्च यह पुष्टि करती है कि चंद्र ध्रुवों में बर्फ का प्राथमिक स्रोत इम्ब्रियन काल में ज्वालामुखी के दौरान निकलने वाली गैस है। और यह दबी हुई बर्फ चंद्रमा पर लंबे समय तक मानव उपस्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
इसरो की रिसर्च टीम ने चंद्रमा पर पानी की बर्फ की उत्पत्ति और वितरण को समझने के लिए लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर पर रडार, लेजर, ऑप्टिकल, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, अल्ट्रा-वायलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर सहित सात उपकरणों का इस्तेमाल किया है। रिसर्च का यह रिजल्ट इसरो के पिछले रिसर्च को भी सपोर्ट करता है।
चांद पर पानी मिलने की संभावना – (Chandrayaan 3 New Update)
भारत के चंद्रयान-3 चंद्र ऑर्बिटर के रडार डेटा का उपयोग करते हुए निकाले गए निष्कर्ष संकेत देते हैं कि कुछ ध्रुवीय क्रेटर में बर्फ जमा हो सकती है। इसरो का कहना है कि नया रिसर्च चंद्रमा के वाष्पशील पदार्थों के इन-सीटू जांच के लिए उसकी भविष्य की योजनाओं का समर्थन करता है। पानी मानव जीवन के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है। ऐसे में चंद्रमा की सतह के ठीक नीचे से बर्फ का होना एक नई संभावना पैदा करता है।
चांद पर पानी की खोज को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों से खोज में जुटे हैं। इसको लेकर अलग-अलग तरह की जानकारी भी सामने आती रही है। और हालही मे एक रिसर्च से चंद्र पर बर्फ के होने की उम्मीद मिली है, इसिसलिए वैज्ञानिको ने अपनी खोज को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है।
कई देशों ने भारत को दी बधाई – (Chandrayaan 3 New Update)
भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बना, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैडिंग की है। चंद्रयान-3 की इस सफलता पर कई देशों ने भारत को बधाई दी थी।
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